बुधवार की आरती लिरिक्स | Budhwar Ki Aarti Lyrics

आरती “बुधवार की आरती लिरिक्स | Budhwar Ki Aarti Lyrics” तारा देवी जी के द्वारा गायी हुई है। हिन्दू धर्म में हम कण कण में भगवान् को देखते है और यही हमे सबसे अलग बनाता है। इसी तरह सभी वार भी देवता है। इनकी आरती दी गयी है।


बुधवार की आरती लिरिक्स
Budhwar Ki Aarti Lyrics

आरती युगलकिशोर की कीजै।
तन मन धन न्योछावर कीजै॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै।
हरि का रूप नयन भरि पीजै॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥

ओढ़े नील पीत पट सारी।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी॥

फूलन सेज फूल की माला।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला॥

कंचन थार कपूर की बाती।
हरि आए निर्मल भई छाती॥

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी।
आरती करें सकल नर नारी॥

नंदनंदन बृजभान किशोरी।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी॥


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