कृष्ण भगवान का यह अद्बुध भजन “Mor Mukut Sir Kanan Kundal Lyrics” रविंद्र जैन जी के द्वारा गाया हुआ है। भजन के लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में वीडियो के साथ दिए हुए है।
Mor Mukut Sir Kanan Kundal Lyrics
मोर मुकुट सर कानन कुण्डल, नैन रसीले
मुख शशि मंडल, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे
मधुर मुरलिया, अधरान राजे
गले वैजन्ती माला साजे, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे
श्री पति हरी श्री वरधन
श्री युत श्री नारायण, प्रभु के श्री चरनन में
मोश्री हीं को वंदन, कौस्तुभ मणि श्री वत्स की रेखा
ऐसा श्रीधर और न देखा, श्री सर्वांग सजोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे
नील कलेवर, पट पीताम्बर अंग धरे
कान्हा कुंजन अकेले करे, पद से गंग प्रवाहित
अंतर स्थापित राधा, मार्ग में अनगिन सखिया
मिलन में केवल बाधा, नात्सिखावर नल कहत न आवे
कोटिक मन मथ देख लाजवे, देखत सुध बुध खोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे
मोर मुकुट सर कानन कुण्डल, नैन रशीले
मुख शशि मंडल, हरी सम और न कोई रे
सखी मेरो प्रीतम सोई रे
Mor Mukut Sir Kanan Kundal Lyrics PDF
हमें उम्मीद है की श्री कृष्ण के भक्तो को यह आर्टिकल “Mor Mukut Sir Kanan Kundal Lyrics” + Video +Audio बहुत पसंद आया होगा। “Mor Mukut Sir Kanan Kundal Lyrics” भजन के आपके क्या विचार है वो हमे कमेंट करके अवश्य बताये।
सभी प्रकार के भजनो के lyrics + Video + Audio + PDF के लिए AllBhajanLyrics.com पर visit करे।