गणेश जी की कहानी खीर वाली
एक समय था जब भगवान गणेश ने बालक रूप धारण करके पृथ्वी पर आये थे। उनका उद्देश्य था लोगों की भलाई और उनके व्यवहार को जांचना। उनके छोटे-छोटे हाथों में कुछ चावल और एक छोटी सी कटोरी में दूध था। भगवान गणेश हर व्यक्ति से मिलकर कहते थे, “क्या आप मेरे लिए खीर बना सकते हैं?” पर लोग तो उन्हें सिर्फ हँसकर इग्नोर कर देते थे।
काफी समय बाद, भगवान गणेश एक छोटी सी झोपड़ी के पास पहुंचे। वहां एक वृद्ध महिला रहती थी। गणेश जी ने महिला से दया की भावना में कह दिया, “क्या आप मेरे लिए खीर बना सकती हैं?” महिला ने बिना किसी सोच-विचार के सहमति दी और उसे अपने घर में बुला लिया।
महिला ने एक छोटी सी कटोरी निकाली खीर बनाने के लिए, पर गणेश जी ने कहा, “माता, कृपया एक बड़ा बर्तन लें, छोटी कटोरी में नहीं।” महिला ने उनकी बातों को मासूमियत से समझा और एक बड़ा बर्तन लेकर आई।
जब महिला ने गणेश जी से मिले चावल और दूध को बर्तन में डाला, तो अचानक उस बर्तन में खीर भरने लगी। महिला हैरान रह गई। गणेश जी ने उसे बताया कि वे थक गए हैं और स्नान करके आएंगे, तब तक वह खीर तैयार कर दे।
महिला ने खीर तैयार की, पर वह बालक वापस नहीं आया। घर के अन्य सदस्य भूखे थे, इसलिए महिला ने उन्हें खीर खिला दी। वह बच्चों से कहती है, “इसे चुपचाप खा लो, क्योंकि अगर वह बालक वापस आया तो उसे बुरा नहीं लगना चाहिए।” बच्चे ने खीर भगवान को भोग लगाकर खा ली। लेकिन वह बालक, जो कि भगवान गणेश थे, वापस नहीं आये। महिला ने सोचा कि शायद वह बालक किसी कारणवश नहीं आ पाया, और उसने खुद भी खीर खा ली।
जब अचानक गणेश जी वहां पहुंचे। महिला ने उनसे मिलकर कहा, “बेटा, आप इतने देर कहां थे? आइए, खीर खाइए।” गणेश जी ने जवाब दिया कि उन्होंने पहले ही खीर खा ली है। महिला हैरानी में पूछी, “कैसे? आप तो अब ही आए हैं।” गणेश जी ने बताया, “जब आपके बच्चे ने खीर खाई, तब मैंने भी खा ली।”
महिला समझ नहीं पाई और उसने पूछा, “अब बची हुई खीर का क्या करें?” गणेश जी ने सुझाव दिया, “इसे पूरे गाँव में बाँट दो।” महिला थोड़ी समस्या में आई क्योंकि वह सोच रही थी कि एक ही पात्रा में कैसे सबको मिलेगा, लेकिन उन्होंने फिर भी गणेश जी की बात मानते हुए गाँव में खीर का वितरण किया। उन्होंने देखा कि खीर कभी भी खत्म नहीं हो रही है।
इस घटना का सुनकर राजा भी उत्कृष्ट हो गए और उन्होंने उस पात्रा को अपने पास ले लिया। लेकिन जैसे ही वे पात्रा को खोले, उसमें कीड़े मकोड़े निकले। राजा चौंक गए और पात्रा को महिला के पास वापस भेज दिया।
महिला ने बालक गणेश से पूछा, “अब मैं इस पात्रा का क्या करूं?” गणेश जी ने कहा, “इसे जमीन में दफना दो और सुबह निकाल लो।” और जाते वक्त उन्होंने महिला के घर को एक मिलांसर लात मारी, जिससे उसका घर एक भव्य महल में बदल गया। महिला ने उस बालक में गणेश जी का दर्शन किया और उनकी लीला खत्म हो गई।
अगली सुबह, महिला ने पात्रा खोदकर निकाला और देखा कि उसमें बहुत सारे कीमती आभूषण थे। उसने खुश होकर गणेश जी का शुक्रिया अदा किया।