मैथिली शिव भजन लिरिक्स | Maithili Shiv Bhajan Lyrics

Maithili Shiv Bhajan Lyrics

डर लगैए हे डेराओन लगैए

डर लगैए हे डेराओन लगैए
गौरी हम नहि जायब तोरा अंगना, भयाओन लगैए
हे अजगर के खम्हा पर धामिन के बरेड़िया
गहुमन के कोरो फुफकार मारइए, गौरी हम…
कड़ैत के बत्ती पर सांखड़ के बन्हनमा
बिढ़नी के खोता घनघन करइए, गौरी हम…
सुगबा के पाढ़ि पर ढ़ोरबा के ढोलनमा
पनिया के जीभ हनहन करइए, गौरी हम…
ताहि घरमे बइसल छथि अपने महादेव
बिछुआ के कुण्डल सनसन करइए, गौरी हम…

एकदिस छिलके गंग-नीर दोसर भस्मे भरल शरीर

एकदिस छिलके गंग-नीर, दोसर भस्मे भरल शरीर
तेसर ठाढ़ छथि मैना के अंगनमा, गौरी के सजनमा ना
एक हाथ डामरु के डिमकाइ, माथे जटा विशाल बढ़ाइ
हिनकर भांग लेल रकटल परनमा, गौरी के सजनमा ना
अपने बसहा छथि असबार, राखल घर आ ने द्वार
संगे गौरी रखता कोन भवनमा, गौरी के सजनमा ना
नागक लटकल डोर देखू, नमरल हिनकर ठोर
बाघक छाल छनि ओढ़न-पहिरनमा, गौरी के सजनमा ना
सखि सभ देखल जखन रूप, नहि छथि योगी नहि भूप
ई तऽ दरिद्रक करथि दुखहरनमा, गोरी के सजनमा ना

देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै ना

देखिते भोला के सुरतिया, सखिया पागल भेलै ना
अंग विभूति गले सर्पमाला, पहिरन हिनकर बाघक छाला
बसहा के कएल पलकिया,
से सखिया पागल भेलै ना
हाथ त्रिशूल डामरु बजाबे, जटामे गंगा विराजे
रूद्रमाल हृदय बिच लटके, भूत-पिशाच बरिअतिया
से सखिया पागल भेलै ना
हाला-डालामे भांग-धथूरा, रहनि ने एको मिठाइ
पौती-पिटारी नाग भरल अछि, मारे ढोंढ़ फुंफकारी
से सखिया पागल भेलइ ना

Maithili Shiv Bhajan Lyrics

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब मोर गौरी रहती कुमारी

गे माई हम नहि शिव सँ गौरी बिआहब, मोर गौरी रहती कुमारी
गे माई भूत-प्रेत बरिआती अनलनि, मोर जिया गेल डेराइ
गे माइ गालो चोकटल, मोछो पाकल, पयरोमे फाटल बेमाइ
गे माइ गौरी लए भागब, गौरी लए जायब, गौरी लए पड़ायब नइहर
गे माइ भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, इहो थिका त्रिभुवननाथ
शुभ-शुभ कए गौरी के बियाहू, तारू होउ सनाथ गे माई

देखल ने एहन जमाइ गे माइ

देखल ने एहन जमाइ गे माइ
भन-भन भृंग भनकय, सखि हे सह-सह करनि साँप
आगू-पाछू भूत भभूत लए कर, देखि जिय थर-थर काँप
गे माई बाघक छालक पहिरन देखल, लटपट बसहा असबार
एक हाथ डिमडिम डामरू बजाबय, एक हाथ मनुष कपार
गे माई जटाजूट सिर छाउर लगाओल, गर बीच शोभे रूद्रमाल
देखितहि रूप इहो मैना पड़यली, सखि सब भेली बेहाल
गे माइ हरलक मति पुनि मैनाक योगिया, दूरि कएल हुनक गेयान
रामचन्द्र हर ईश सगुन रूप, जेहि कर वेद बखान

देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ

देखू सखि दाइ माइ, ठकलक बभना आइ
पहिने सुनैत छलियनि जस तीन भुवन,
आब सुनैत छियनि घर नहि आंगन
भोला के माय-बाप नहि केयो छनि अपना
गौरी के सासु-ननदि सब सपना
गौरी तप कयलनि रात दिना, तिनका एहन बर देल विधना
भनहि विद्यापति सुनू मैना, नाचथि सदाशिव भरि अंगना

बाटमे दौड़ी-दौड़ी सभसँ पुछथि गौरी

बाटमे दौड़ी-दौड़ी सभसँ पुछथि गौरी
कि आहो रामा, हमरो सदाशिव के केओ देखल रे की
देहमे भस्म लेपे, आठो अंग सर्प नाचे
कि आहो रामा, भांग झोरी कँखिया झुलाबथि रे की
हाथमे त्रिशूल शोभे, बघम्बर छाल शोभे
कि आहो रामा, नाचि-नाचि डामरु बजाबथि रे की
त्रिनेत्र ढ़ल-ढ़ल, गले बिच विष हलाहल
कि आहो रामा, माथे पर जटा लटकाबथि रे की
पिसैत छलहुँ भांगक गोला, रूसि गेलाह मोरो भोला
कि आहो रामा, भवप्रीता चरण अरज लगाबथि रे की

आजु सदाशिव शंकर हर के देखलौं गे माइ

आजु सदाशिव शंकर हर के देखलौं गे माइ
हर के देखलौं गे माई
एहन स्वरूप शिवशंकर, शोभा वरनि न जाइ
हर के देखलौं गे माई
हिनकर बयस परम लघु देखल, लखि पन्द्रह तक जाइ
जँ केओ हिनका बूढ़ कहैत अछि, ओ छथि परम बताहि
हर के देखलौं गे माई
देखइत नीलकंठ बर सुन्दर, चन्द्र ललाट सोहाइ
मस्तक ऊपर मध्य जटामे, बैसल गंगामाइ
हर के देखलौं गे माई
गले मे नागक हार बिराजे, अंगमे भस्म लगाइ
मुण्डक माल गलेमे शोभनि, जटा के लट छिड़िआइ
मुण्डक माल गलेमे शोभनि, जटा के लट छिड़िआइ
हर के देखलौं गे माई
भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइनि, देखू मनयित लाई
केहन उमत बर नारद जोहि लयला, भरि त्रिभुवन नहि पाई

दुर-दुर नारद एहन बर लयलौं कोना

दुर-दुर नारद एहन बर लयलौं कोना
पढ़ि पोथी ओ पतरा बिसरलौं कोना
बसहा पीठ छथि असवार, कर त्रिशूल-मुन्डमाल
पैर फाटल बेमाय, पेट उगल, सटकल गाल
तीन अँखिया बकर-बकर तकै छथि कोना
दुर-दुर नारद एहन बर लयलौं कोना
श्वेत केश, दाँत टुटल, कम्पवात गातमे
भूत ओ पिशाच साजि लयला बरियातमे
सखि हे नाकहीन, कानहीन दाँतटुटल छनि कोना
घर-द्वार नहि छनि केयो नहि संगमे
आँक-धथूर-गाँजा, रूचि सदा भंगमे
सखि हे तनिका संग गौरी धीया रहती कोना
सुन्दर सुकुमारि गौरी छथि उमंगमे
सखि सहेली संग खेलैत छथि सुसंगमे
सखि हे तिनका एहन बर करबनि कोना

ना जायब हे सखि गौरी अंगनमा

ना जायब, ना जायब, ना जायब हे सखि गौरी अंगनमा
गौरी अंगनमा सखि, पारबती अंगनमा
बहिरा साँपक मांड़ब बनाओल, तेलिया देल बन्हनमा हे
धामन साँपक कोड़ो बनाओल, अजगर के देल धरनमा हे,
सखि गौरी…
हरहरा के काड़ा-छाड़ा, कड़ैत के लाओल कंगनमा
पनियादरारि के पहुँची लाओल, ढ़रबा के लाओल ढोलनमा हे,
सखि गौरी…
सुगबा साँप के मुनरी लाओल, नाग के लायल जयशनमा हे
चान्द तारा के शीशा लाओल, मछगिद्धी के अभरनमा हे
सखि गौरी…

गौरी बर अएला अलख लखिया चलू देखू सखिया

गौरी बर अएला अलख लखिया, चलू देखू सखिया
हे बर के ने माय-बाप कुल-जतिया, भूत ओ प्रेत संग बरियतिया
बसहा चढ़ल बर संग भरिया, बर के सुरति देखि फाटे छतिया
नारद कएलनि अजगुत सखिया, हे फेरू-फेरू बर-बरियतिया
भनहि विद्यापति सुनू सखिया, इहो थिका दानवीर त्रिभुवन पतिया
चलू देखू सखिया, गौरी बर लयला अलख लखिया

चलू सखि देखन गौरी बरियतिया हे 

चलू सखि देखन गौरी बरियतिया हे
देखइत बूढ़ बर फाटे मोर छतिया हे
गालो चोकटल, फूलल मुह, अूटल छनि दंतिया हे
बजबा के लुरियो ने नीको ने सुरतिया हे
धोती नहि चादर, डाँर एकेटा लंगोटिया हे
देखि-देखि बुढ़बा बढ़ैए मोर खिसिया हे
बर खोजबइया के फूटल छलनि अंखिया हे
ताहिसँ एहन बूढ़ लएला जमइया हे
माथ पीटि, छाती पीटि कानथि गौरी के मइया हे
चुप करथि सखि सभ नीति समुझइया हे
जुनि कानू, जुनि खीजू, गौरी माय सुनू एक बतिया हे
एहन विद्याता के एहने करतुतिया हे

संगी सखि हे बहिना मैथिली लोकगीत

संगी सखि हे बहिना
हम आइ देखल एक सपना
हे हम आइ देखल एक सपना
हमरो साजन बूढ़ बर छथि
मुखमे दांत एको नहि
पाकल-पाकल केश बूढ़ के
देखबामे केहनो नहि
नहि छनि बूढ़के घर-घरारी
नहि छनि केओ अपना
जे किछु बांचल छलनि बूढ़ के
ब्याहमे पड़लनि भरना
जखन बुढ़ा कोबर घर चलला
थर-थर कांपय बदनमा
जखनसँ देखल इहो सपन हम
झर-झार बहय नयनमा
संगी सखी हे बहिना
हे हम आइ देखल एक सपना

फिरय शंभू के करनमा मैथिली लोकगीत

फिरय शंभू के करनमा, गौरी दाइ वन-वन मे ना
अन्न त्यागल, पानि त्यागल, त्यागल परनमा
बेलपात चिबाय गौरी राखल जीवनमा
गौरी दाइ वन-वन मे ना
होम कयलनि, जाप कयलनि नारद बभनमा
गौरी केँ लिखल छल इहो बुढ़ सजनमा
गौरी दाइ वन-वन मे ना
इन्द्र के इन्द्रासन डोलय, विष्णु के असनमा
शंकर के कैलाश डोलय, बहय रे पवनमा
गौरी दाइ वन-वन मे ना
फिरय शंभू के करनमा, गौरी दाइ वन-वन मे ना

सखि जोगी एक ठाढ़ अंगनमा मे मैथिली लोकगीत

सखि जोगी एक ठाढ़ अंगनमा मे
अंगनमा मे, हे भवनमा मे
सांपहि सांप बाम-दहिन छल
चित्र-विचित्र बसनमा मे
नित दिन भीख कतऽ सँ लायब
घुरि फिरि जाहु अंगनमा मे
भीखो ने लिअय जोगी, घुरियो ने जाइ

गौरी हे निकलू अंगनमा मे
भनहि विद्यापति सुनू हे मनाइन
शिव सन दानी के भुवनमा मे

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आरती : जय अम्बे गौरी