मैं हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल लिरिक्स | Mai Hu Nahi Tere Pyar Ke Kabil Lyrics

कृष्ण भगवान का यह अद्बुध भजन “मैं हूँ नहीं तेरे प्यार के काबिल लिरिक्स | Mai Hu Nahi Tere Pyar Ke Kabil Lyrics” चित्र विचित्र जी महाराज के द्वारा गाया हुआ है। भजन के लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में वीडियो के साथ दिए हुए है।


Mai Hu Nahi Tere Pyar Ke Kabil Lyrics

नन्दलाल गोपाल दया करके ,
रख चाकर अपने द्वार मुझे ,
धन और दौलत चाह नहीं ,
प्रभु दे दो अपना प्यार मुझे ,
तेरे प्यार में इतना खो जाऊ ,
पागल समझे संसार मुझे ,
जब दिल अपने में झाँकू मै ,
हो जाये तेरा दिदार मुझे ।।

गुनहग़ार हूँ, ख़तावार हूँ,
मैं हूं नहीं मैं हूँ नहीं ,
तेरे प्यार के काबिल,
लिख दी मैंने कर दी मैंने ,
जिंदगी बिहारी जी के नाम,
मैं हूँ नहीं मैं हूँ नहीं,
तेरे प्यार के काबिल ।।

अवगुण भरा शरीर मेरा,
मैं कैसे तुझे मिल पाऊँ,
चुनरिया ये दाग दगीली,
में कैसे दाग़ छुड़ाऊँ,
ना भक्ति नहीं प्रेम रस,
हाँ कैसे तुझे मिल पाऊँ,
आन पड़ा अब द्वार तिहारे,
अब किस द्वारे जाऊँ,
उजड़ा हुआ गुलशन हूँ मैं,
उजड़ा हुआ गुलशन हूँ मैं,
ना बहार के काबिल,
मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।।

वो दृष्टि नहीं है पास मेरे जो,
रूप तुम्हारा निहार सकूँ,
वो तड़प नही है दिल अंदर,
जिस तड़प से तुझको पुकार सकूँ,
वो आग नहीं है आहो में जो,
तन मन सारा पजार सकूँ,
वो त्याग नहीं है अपने में,
जो सर्वस्व तुम पर वार सकूँ,
भुला हूँ में, वादाओ को,
ना करार के काबिल,
मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।।

तुम ही करो मुझे प्यार के,
काबिल और कौन है मेरा,
काम क्रोध मद लोभ मोह ने,
आकर डाला डेरा,
एक तेरे दीदार बिना,
इस दिल में हुआ अँधेरा,
मुझे भरोसा नहीं किसी का,
एक भरोसा तेरा,
हो तेरे प्यार में, पागल हुआ,
ना संसार के काबिल,
मैं हूं नहीं तेरे प्यार के काबिल।।

Mai Hu Nahi Tere Pyar Ke Kabil Lyrics

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