जानत प्रीति रीति रघुराई लिरिक्स | Janat Priti Riti Raghurai Lyrics

मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम का अति पावन भजन “जानत प्रीति रीति रघुराई लिरिक्स | Janat Priti Riti Raghurai Lyrics” – गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित है। इस भजन में राम भक्ति की महिमा का बखान किया गया है।


Janat Priti Riti Raghurai Lyrics

जानत प्रीति-रीति रघुराई ।
नाते सब हाते करि राखत,
राम सनेह-सगाई ॥ १ ॥

नेह निबाहि देह तजि दसरथ,
कीरति अचल चलाई ।
ऐसेहु पितु तेँ अधिक गीधपर,
ममता गुन गरुआई ॥ २ ॥

तिय-बिरही सुग्रीव सखा,
लखि प्रानप्रिया बिसराई ।
रन पर्-यो बंधु बिभीषन ही को,
सोच ह्रदय अधिकाई ॥ ३ ॥

घर गुरुगृह प्रिय सदन सासुरे,
भइ जब जहँ पहुनाई ।
तब तहँ कहि सबरीके फलनिकी,
रुचि माधुरी न पाई ॥ ४ ॥

सहज सरुप कथा मुनि बरनत,
रहत सकुचि सिर नाई ।
केवट मीत कहे सुख मानत,
बानर बंधु बड़ाई ॥ ५ ॥

प्रेम-कनौड़ो रामसो प्रभु,
त्रिभुवन तिहुँकाल न भाई ।
तेरो रिनी हौँ कह्यो कपि सोँ,
ऐसी मानिहि को सेवकाई ॥ ६ ॥

तुलसी राम-सनेह-सील लखि,
जो न भगति उर आई ।
तौ तोहिँ जनमि जाय जननी,
जड़ तनु-तरुनता गवाँई ॥ ७ ॥

(गोस्वामी तुलसीदास रचित विनयपत्रिका, पद – १६४)

Janat Priti Riti Raghurai Lyrics

Janat Priti Riti Raghurai Lyrics PDF


हमें उम्मीद है की श्री राम के भक्तो को यह आर्टिकल “जानत प्रीति रीति रघुराई लिरिक्स | Janat Priti Riti Raghurai Lyrics” + Video +Audio बहुत पसंद आया होगा। “Janat Priti Riti Raghurai Lyrics” भजन के बारे में आपके क्या विचार है वो हमे कमेंट करके अवश्य बताये।

सभी प्रकार के भजनो के lyrics + Video + Audio + PDF के लिए AllBhajanLyrics.com पर visit करे।

Leave a Comment

आरती : जय अम्बे गौरी