यह अद्बुध एकादशी भजन “ग्यारस का व्रत में करती लिरिक्स | Gyaras Ka Vrat Me Karti Lyrics” अनूप जालोटा जी का गाया हुआ है। इस भजन में हरी भक्त भगवन विष्णु के एक बार दर्शन की अभिलाषा व्यक्त कर रहे है।
Gyaras Ka Vrat Me Karti Lyrics
मैंने पहली माला फेरी,
सासुल ने आकर घेरी।
कभी करती न सेवा मेरी,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
मैंने दूजी माला फेरी,
बेटे ने आकर घेरी।
कुछ काम धाम न करती,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
मैंने तीजी माला फेरी,
बहुअल ने आकर घेरी।
कभी मेरे बच्चे न खिलाती,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
मैंने चौथी माला फेरी,
बेटी ने आकर घेरी।
कुछ देन लेन न करती,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
मैंने पांचवीं माला फेरी,
पोते ने आकर घेरी।
कभी मुझे न घुमाती फिराति,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
मैंने छठवीं माला फेरी,
साजन ने आकर घेरी।
कभी मेरे पास न बैठती,
हरि नाम की माला जपती।
ग्यारस का व्रत में करती,
हरि नाम की माला जपती।
हमें उम्मीद है की भगवान विष्णु के भक्तो को यह आर्टिकल “ग्यारस का व्रत में करती लिरिक्स | Gyaras Ka Vrat Me Karti Lyrics” + Video + Audio बहुत पसंद आया होगा। “Gyaras Ka Vrat Me Karti Lyrics” भजन के बारे में आपके क्या विचार है वो हमे कमेंट करके अवश्य बताये। आप अपनी फरमाइश भी हमे कमेंट करके बता सकते है। हम वो भजन, आरती आदि जल्द से जल्द लाने को कोशिश करेंगे।
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