आरती “शुक्रवार की आरती लिरिक्स | Shukarwar Ki Aarti Lyrics” तारा देवी जी के द्वारा गायी हुई है। हिन्दू धर्म में हम कण कण में भगवान् को देखते है और यही हमे सबसे अलग बनाता है। इसी तरह सभी वार भी देवता है। इनकी आरती दी गयी है।
शुक्रवार की आरती लिरिक्स
आरती लक्ष्मण बाल जती की।
असुर संहारन प्राणपति की॥
जगमग ज्योति अवधपुरी राजे।
शेषाचल पर आप विराजे॥
घंटाताल पखावज बाजै।
कोटि देव आरती साजै॥
क्रीटमुकुट कर धनुष विराजै।
तीन लोक जाकि शोभा राजै॥
कंचन थार कपूर सुहाई।
आरती करत सुमित्रा माई॥
प्रेम मगन होय आरती गावैं।
बसि बैकुण्ठ बहुरि नहीं आवैं॥
भक्ति हेतु हरि लाड़ लड़ावै।
जब घनश्याम परम पद पावैं॥
Shukarwar Ki Aarti Lyrics
Aarti Lakshman Baaljati Ki
Asur Sanhaaran Praanpati Ki
Jagmag Jyoti Avadhpur Raaje
Sheshachal Pai Aap Viraaje
Ghanta Taal Pakhawaj Baaje
Koti Dev Muni Aarti Saaje
Kirit Mukut Kar Dhanush Viraaje
Teen Lok Jaaki Shobha Raaje
Kanchan Thar Kapoor Suhaai
Aarti Karat Sumitra Mai
Aarti Kije Hari Ki Taisi
Dhruv Prahlaad Vibhishan Jaisi
Prem Magan Hopye Aarti Gaave
Basi Vaikunth Bahuri Nahi Aave
Bhakti Hetu Hari Dhyan Lagave
Jan Ghanshyam Parampad Paave
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