थासु विनती करा हाँ बारम्बार,
सुनो जी सरकार,
खाटू का राजा महर करो॥
था बिन नाथ अनाथ की जी,
कुण राखेलो टेक,
म्हासा थाके मोकला जी,
थासा तो म्हारे थे ही एक,
खाटू का राजा महर करो…..
जाणु हूँ दरबार में थारे,
घणी लगी है भीड़,
थारे बिन किस विध मिटेगी,
भोले भगत की या पीड,
खाटू का राजा महर करो…..
ज्यूँ-ज्यूँ बीते टेम हिये को,
छुट्यो जावे धीर,
उझलो आवे कालजो जी,
नैणा सू टप-टप के नीर,
खाटू का राजा महर करो…..
साथी म्हारे जिव का थे,
थासे छानी ना,
जान बूझ के मत तरसाओ,
हिवड़े से लेवो लिपटाए,
खाटू का राजा महर करो…..
ध्रुपद सुता की लज्जा राखी,
गज को काट्यो फंद,
सुणकर टेर देर मत किजो,
श्याम बिहारी “ब्रजचंद”,
खाटू का राजा महर करो…..