रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने लिरिक्स | Rachaai Shrishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics

Rachaai Shrishti Ko Jis Prabhu Ne

रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है
ज पेड़ हमने लगाया पेहले उसी का फल हम अब पा रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

इसी धरा से शरीर पाए इसी धरा में फिर सब पाए,
है सत्य नियम यही धरा इक आ रहे है इक जा रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

जिहनो ने बेजा जगत में जाना तेह कर दिया लोट कर फिर से आना
जो बेजने वाले है धरा पर वही फिर वापिस बुला रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

बैठे है जो धान की बालियो में समाये मेहँदी की लालियो में,
हर ढाल हर पत्ते में समा कर रंग बिरंगे फूल खिला रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

Rachaai Shrishti Ko Jis Prabhu Ne Lyrics

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