विद्या एवं कला की देवी माँ सरस्वती की यह Saraswati Amritwani by Anuradha Paudwal सरस्वती माता की भक्ति और माँ को प्रसंन्न करने के लिए सर्वथा उपयुक्त है। माता का यह भजन Saraswati Amritwani माँ की भक्ति में विभोर करने वाला है। विद्या, ज्ञान, सुर, और कला के बिना एक इंसान का कोई मूल्य नहीं रह जाता है।
सरस्वती अमृतवाणी में माँ सरस्वती से प्रार्थना की गयी है की हे माँ आप विद्या, ज्ञान, कला, सुर आदि की देवी है और हम इन सब के बिना कुछ भी नहीं है। हे माँ सरस्वती आप हम पर अपनी दया बनाये रखे और अपना आशीर्वाद सदा हमारे साथ रखे। Saraswati Amritwani – सरस्वती अमृतवाणी के लिरिक्स बहुत ही भाव विभोर करने वाले है।
Saraswati Amritwani Video
by Anuradha Paudwal
Saraswati Bhajan
सरस्वती भजन
Sarswati Maa Saraswati Ambe Sharde
सरस्वती माँ सरस्वती अम्बे शारदे,
सुर ताल माँ ज्ञान का मैनु तू वरदान दे,
सरस्वती माँ सरस्वती अम्बे शारदे,
रखियो माँ लाज दाती गुण तेरे जो गावा,
वेसुरा मैं ना समज किधरे भटक न जावा,
बांह फड़ लई मेरी माँ मैनु भी तू तार दे,
सुर ताल माँ ज्ञान का मैनु तू वरदान दे,
सरस्वती माँ सरस्वती अम्बे शारदे,
मेहर दी आज नजर दाती तेरी जे हो जावे,
राणा करे गुण गान तेरा तनु शीश झुकावे,
तेरे दर ते आया मैं माँ मैनु भी तू प्यार दे,
सुर ताल माँ ज्ञान का मैनु तू वरदान दे,
सरस्वती माँ सरस्वती अम्बे शारदे,
Jai Saraswati Mata Jai Jai Saraswati Mata
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता।
सद्दग़ुण वैभव शालिनि,
त्रिभुवन विख्याता॥
जय जय सरस्वती माता
चंद्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति (छवि) मंगलकारी।
मैया द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी॥
जय जय सरस्वती माता
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला।
मैया दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला॥
जय जय सरस्वती माता
देवि शरण जो आए,
उनका उद्धार किया।
मैया उनका उद्धार किया।
पैठि मंथरा दासी,
रावण संहार किया॥
जय जय सरस्वती माता
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो।
मैया ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो॥
जय जय सरस्वती माता
धूप दीप फल मेवा,
मां स्वीकार करो।
मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो॥
जय जय सरस्वती माता
मां सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे।
मैया जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे॥
जय जय सरस्वती माता
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता।
सद्दग़ुण वैभव शालिनि,
त्रिभुवन विख्याता॥
जय जय सरस्वती माता
Jayati Jai Ma Jai Saraswati
जयति जय माँ जय सरस्वती
जयति वीणा धारिणी माँ ॥
जयति जय पद्मासन माता
जयति शुभ वरदायिनी माँ ।
जगत का कल्याण कर माँ
तुम हो वीणा वादिनी माँ ॥
कमल आसन छोड़ कर आ
देख मेरी दुर्दशा मां ।
ग्यान की दरिया बहा दे
हे सकल जगतारणी माँ ॥
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