गोगा जी की कथा | Goga Peer Ki Katha Lyrics


Goga Peer Ki Katha Lyrics

हम राजस्थान के ददरेवा की कथा सुनाते है
पावन कथा सुनाते है
जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते है
हम कथा सुनाते है
तुम्हे आज हम गोगा मेडी धाम दिखाते है
गोरख नाथ ने कैसे दिया वरदान बताते है
हम कथा सुनाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

चूरू जिला ददरेवा में जन्मे प्रांत है राजस्थान
बाछल देवी माँ जिनकी पिता जेवर सिंह चौहान
केलमती पत्नी थी ,दादा उमर सिंह चौहान
गोरख नाथ गुरु थे जिनके ,ज्ञानवान गुणवान
गोगा मेड़ी कहलाता है बना जहाँ है धाम
फैला है सारी दुनिया में जाहरवीर का नाम
कष्ट निवारण करते है सबके बाबा गोगापीर
बड़े दयालु और कृपालु बाबा जाहरवीर
कैसे जन्म हुआ गोगा का वो बतलाते है
जाहेवीर के जीवन का परिचय करवाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

वार्ता

राजस्थान के चूरू जिले में ददरेवा नामक स्थान है जहाँ चौहान वंश के राजा उमर सिंह चौहान राज करते थे राजा उमर सिंह चौहान के दो पुत्र हुए एक का नाम जेवर सिंह दूसरे का घेवर सिंह था उन दोनों भाइयों का विवाह सरसा पट्टन की राज कुमारियों से हुआ था ,दोनों सगी बहने थी बड़ी राजकुमारी बाछल देवी के साथ हुआ छोटी राजकुमारी का विवाह छोटे भाई घेवर सिंह के साथ होता है विवाह के कई वर्षो के बाद भी दोनों रानियों को संतान का सुख नहीं मिलता है तो वो सब चिंता में डूब जाते है

पूजा पाठ दान करवाए पूजे साधु संत
इक संतान बिना ह्रदय में पीड़ा बसी अंनत
मंदिर जाते आंसू बहाते मिल जाए संतान
व्रत रखते और कथा बांचते पढ़ते वेद पुराण
सुना किसी के मुख से उन्होंने गुरु है गोरखनाथ
करते है दुखियों के ऊपर दया की वो बरसात
उनका दिया वरदान कभी भी खाली नहीं जाता
जो भी मांगो उनसे जाकर वो सब मिल जाता
गोरखनाथ सभी के ऊपर दया लुटाते है
जाहरवीर के जीवन का दर्शन करवाते है
हम कथा सुनाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

वार्ता

दोनों रानिया बाछल देवी और काछल देवी गुरु गोरखनाथ की पूजा करने है महल के अंदर ही उनकी पूजा आराधना करती है व्रत उपवास रखती है अन्नदान वस्त्र दान और ब्रह्माणो को भोजन आदि कराती है कई महीनो तक यही क्रम चलता रहा फिर एक दिन काछल देवी बाछल देवी को बताये बिना गुरु गोरखनाथ के दर्शन करनी चली जाती है

काछल रानी अपने मन में करके एक विचार
चली अकेले काछल रानी गोरख नाथ के द्वार
गोरखनाथ के चरणों में गिर मांगे आशीर्वाद
पुत्र प्राप्ति का वर मुझको दे दो गोरखनाथ
विपदा की मारी हूँ बाबा दे दो इक संतान
बिना संतान मिले ना बाबा मुझे कही सम्मान
गोरखनाथ है बड़े दयालु सनकी उसकी बात
पुत्र प्राप्ति का काछल को दे दिया आशीर्वाद
पुत्र रत्न की होगी प्राप्ति उसे बताते है
जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

वार्ता

काछल बाबा गोरखनाथ से पुत्र प्राप्ति का वरदान लेकर राज महल में आ जाती है,नौ माह के पश्चात काछल रानी से दो पुत्रो को जन्म दिया उन दोनों पुत्रो के नाम अर्जुन सर्जुन रखते है अब बाछल रानी चिंता में डूब जाती है की मेरी छोटी बहन को दो दो दो पुत्रो की प्राप्ति हो गई और मै बाँझ की बाँझ ही रही जब की बाबा गोरखनाथ जी की भक्ति पूजा अर्चना हम दोनों ने बराबर की थी बाछल भी गोरख नाथ के शरण में जाती है

बाछल रानी जाती है जब गोरकनाथ के पास
चेहरा बुझा हुआ था उसका वो थी बड़ी निरास
चरणों में गिर के आंसू बहाये रोरो करे पुकार
किस्मत मेरी फूटी है बाबा रूठे है करतार
गोरखनाथ जी उससे बोले दे चुका हूँ वरदान
काछल ने वरदान रूप में मांगी थी संतान
बाछल बोली हाथ जोड़ के दया करो के हे नाथ
पुत्र प्राप्ति का मुझको भी दे दो आशीर्वाद
बाछल की आँखों से आंसू बहते जाते है
जाहरवीर के जीवन का परिचय करवाते है
हम कथा सुनाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

वार्ता

गुरु गोरखनाथ जी जो बाछल के ऊपर दया आ जाती है वो बाछल को एक दिव्य पुत्र प्राप्ति का वरदान देते है बाछल उनका आशीर्वाद लेकर महल में आ जाती है कुछ जाहरवीर जी का जन्म होता है ठीक उसी दिन एक ब्रह्मण के घर मेंनर सिंह पांडे का जन्म होता है और एक बामिल्की के घर में रत्नाजी बाल्मीकि का जन्म हुआ और एक हरिजन के घर भज्जू कोतवाल का जन्म हुआ था जो बड़े होकर गोगा पीर जी के परम मित्र हुए साथ रहते साथ खेलते साथ ही खाते

जाति धर्म का भेद नहीं है गोगा के दरबार
हर मजहब के लोग पा रहे गोगा जी का प्यार
मुस्लिम गोगा पीर पुकारे हिन्दू जाहरवीर
हिन्दू मुस्लिम कोई हो हरते है सबकी पीर
गोरख नाथ शिष्य है गोगा गुग्गा भी है नाम
कई नामो से जाना जाए गोगा जी का धाम
जाहरवीर के दर पर जो भी दुखिया आता है
मुँह माँगा वरदान यहाँ से लेकर जाता है
रोते रोते आते है जो हँसके जाते है
हाथ जोड़ सुखदेव द्वार पर शीश झुकाते है
हम कथा सुनाते है
जय जय जय जाहरवीर जय जय गोगा पीर
जय जय गोगा पीर जय जय जय जाहरवीर

Goga Peer Ki Katha Lyrics

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