Aarti Shri Vrishbhanu Suta Ki Lyrics
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ।।
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की ।।
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की ।।
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुता की ।।
आरती श्री वृषभानुसुता की ।
मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ।।