भय का हरण करने वाला स्तोत्र Batuk Bhairav Stotra का पाठ श्री Batuk Bhairav की आराधना और उनको प्रसन्न करने के लिए होता है। भैरव का अर्थ भय का नाश करने वाला और जगत का भरण करने वाला होता है।
Batuk Bhairav Stotra
वन्दे बालं स्फटिक-सदृशम्, कुन्तलोल्लासि-वक्त्रम्। दिव्याकल्पैर्नव-मणि-मयैः, किंकिणी-नूपुराढ्यैः॥ दीप्ताकारं विशद-वदनं, सुप्रसन्नं त्रि-नेत्रम्। हस्ताब्जाभ्यां बटुकमनिशं, शूल–दण्डौ दधानम्॥ ॐ लं पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धूपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये घ्रापयामि नमः। ॐ रं अग्नि-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये निवेदयामि नमः। ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बूलं श्रीमद् आपदुद्धारण-बटुक-भेरव-प्रीतये समर्पयामि नमः। ॐ भैरवो भूत-नाथश्च, भूतात्मा भूत-भावनः। क्षेत्रज्ञः क्षेत्र-पालश्च, क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट् ॥ श्मशान-वासी मांसाशी, खर्पराशी स्मरान्त-कृत्। रक्तपः पानपः सिद्धः, सिद्धिदः सिद्धि-सेवितः॥ कंकालः कालः-शमनः, कला-काष्ठा-तनुः कविः। त्रि-नेत्रो बहु-नेत्रश्च, तथा पिंगल-लोचनः॥ शूल-पाणिः खड्ग-पाणिः, कंकाली धूम्र-लोचनः। अभीरुर्भैरवी-नाथो, भूतपो योगिनी – पतिः॥ धनदोऽधन-हारी च, धन-वान् प्रतिभागवान्। नागहारो नागकेशो, व्योमकेशः कपाल-भृत्॥ कालः कपालमाली च, कमनीयः कलानिधिः। त्रि-नेत्रो ज्वलन्नेत्रस्त्रि-शिखी च त्रि-लोक-भृत्॥ त्रिवृत्त-तनयो डिम्भः शान्तः शान्त-जन-प्रिय। बटुको बटु-वेषश्च, खट्वांग -वर – धारकः॥ भूताध्यक्षः पशुपतिर्भिक्षुकः परिचारकः। धूर्तो दिगम्बरः शौरिर्हरिणः पाण्डु – लोचनः॥ प्रशान्तः शान्तिदः शुद्धः शंकर-प्रिय-बान्धवः। अष्ट -मूर्तिर्निधीशश्च, ज्ञान- चक्षुस्तपो-मयः॥ अष्टाधारः षडाधारः, सर्प-युक्तः शिखी-सखः। भूधरो भूधराधीशो, भूपतिर्भूधरात्मजः॥ कपाल-धारी मुण्डी च , नाग- यज्ञोपवीत-वान्। जृम्भणो मोहनः स्तम्भी, मारणः क्षोभणस्तथा॥ शुद्द – नीलाञ्जन – प्रख्य – देहः मुण्ड -विभूषणः। बलि-भुग्बलि-भुङ्- नाथो, बालोबाल – पराक्रम॥ सर्वापत् – तारणो दुर्गो, दुष्ट- भूत- निषेवितः। कामीकला-निधिःकान्तः, कामिनी वश-कृद्वशी॥ जगद्-रक्षा-करोऽनन्तो, माया – मन्त्रौषधी -मयः। सर्व-सिद्धि-प्रदो वैद्यः, प्रभ – विष्णुरितीव हि॥ ।।फल-श्रुति।। अष्टोत्तर-शतं नाम्नां, भैरवस्य महात्मनः। मया ते कथितं देवि, रहस्य सर्व-कामदम् ।। य इदं पठते स्तोत्रं, नामाष्ट-शतमुत्तमम्। न तस्य दुरितं किञ्चिन्न च भूत-भयं तथा ।। न शत्रुभ्यो भयं किञ्चित्, प्राप्नुयान्मानवः क्वचिद्। पातकेभ्यो भयं नैव, पठेत् स्तोत्रमतः सुधीः ।। मारी-भये राज-भये, तथा चौराग्निजे भये। औत्पातिके भये चैव, तथा दुःस्वप्नजे भये ।। बन्धने च महाघोरे, पठेत् स्तोत्रमनन्य-धीः। सर्वं प्रशममायाति, भयं भैरव-कीर्तनात्।। ।।क्षमा-प्रार्थना।। आवाहनङ न जानामि, न जानामि विसर्जनम्। पूजा-कर्म न जानामि, क्षमस्व परमेश्वर।। मन्त्र-हीनं क्रिया-हीनं, भक्ति-हीनं सुरेश्वर। मया यत्-पूजितं देव परिपूर्णं तदस्तु मे।। |

कालभैरव के 108 नाम
1. ॐ ह्रीं भैरवाय नम: 2. ॐ ह्रीं भूतनाथाय नम: 3. ॐ ह्रीं भूतात्मने नम: 4. ॐ ह्रीं भू-भावनाय नम: 5. ॐ ह्रीं क्षेत्रज्ञाय नम: 6. ॐ ह्रीं क्षेत्रपालाय नम: 7. ॐ ह्रीं क्षेत्रदाय नम: 8. ॐ ह्रीं क्षत्रियाय नम: 9. ॐ ह्रीं विराजे नम: 10. ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम: 11. ॐ ह्रीं मांसाशिने नम: 12. ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम: 13. ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम: 14. ॐ ह्रीं रक्तपाय नम: 15. ॐ ह्रीं पानपाय नम: 16. ॐ ह्रीं सिद्धाय नम: 17. ॐ ह्रीं सिद्धिदाय नम: 18. ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम: 19. ॐ ह्रीं कंकालाय नम: 20. ॐ ह्रीं कालशमनाय नम: 21. ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम: 22. ॐ ह्रीं कवये नम: 23. ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम: 24. ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम: 25. ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम: 26. ॐ ह्रीं शूलपाणाये नम: 27. ॐ ह्रीं खड्गपाणाये नम: 28. ॐ ह्रीं धूम्रलोचनाय नम: 29. ॐ ह्रीं अभीरवे नम: 30. ॐ ह्रीं भैरवीनाथाय नम: 31. ॐ ह्रीं भूतपाय नम: 32. ॐ ह्रीं योगिनीपतये नम: 33. ॐ ह्रीं धनदाय नम: 34. ॐ ह्रीं अधनहारिणे नम: 35. ॐ ह्रीं धनवते नम: 36. ॐ ह्रीं प्रतिभागवते नम: 37. ॐ ह्रीं नागहाराय नम: 38. ॐ ह्रीं नागकेशाय नम: 39. ॐ ह्रीं व्योमकेशाय नम: 40. ॐ ह्रीं कपालभृते नम: 41. ॐ ह्रीं कालाय नम: 42. ॐ ह्रीं कपालमालिने नम: 43. ॐ ह्रीं कमनीयाय नम: 44. ॐ ह्रीं कलानिधये नम: 45. ॐ ह्रीं त्रिलोचननाय नम: 46. ॐ ह्रीं ज्वलन्नेत्राय नम: 47. ॐ ह्रीं त्रिशिखिने नम: 48. ॐ ह्रीं त्रिलोकभृते नम: 49. ॐ ह्रीं त्रिवृत्त-तनयाय नम: 50. ॐ ह्रीं डिम्भाय नम: 51. ॐ ह्रीं शांताय नम: 52. ॐ ह्रीं शांत-जन-प्रियाय नम: 53. ॐ ह्रीं बटुकाय नम: 54. ॐ ह्रीं बटुवेषाय नम: 55. ॐ ह्रीं खट्वांग-वर-धारकाय नम: 56. ॐ ह्रीं भूताध्यक्ष नम: 57. ॐ ह्रीं पशुपतये नम: 58. ॐ ह्रीं भिक्षुकाय नम: 59. ॐ ह्रीं परिचारकाय नम: 60. ॐ ह्रीं धूर्ताय नम: 61. ॐ ह्रीं दिगंबराय नम: 62. ॐ ह्रीं शौरये नम: 63. ॐ ह्रीं हरिणाय नम: 64. ॐ ह्रीं पाण्डुलोचनाय नम: 65. ॐ ह्रीं प्रशांताय नम: 66. ॐ ह्रीं शांतिदाय नम: 67. ॐ ह्रीं शुद्धाय नम: 68. ॐ ह्रीं शंकरप्रिय बांधवाय नम: 69. ॐ ह्रीं अष्टमूर्तये नम: 70. ॐ ह्रीं निधिशाय नम: 71. ॐ ह्रीं ज्ञानचक्षुषे नम: 72. ॐ ह्रीं तपोमयाय नम: 73. ॐ ह्रीं अष्टाधाराय नम: 74. ॐ ह्रीं षडाधाराय नम: 75. ॐ ह्रीं सर्पयुक्ताय नम: 76. ॐ ह्रीं शिखिसखाय नम: 77. ॐ ह्रीं भूधराय नम: 78. ॐ ह्रीं भूधराधीशाय नम: 79. ॐ ह्रीं भूपतये नम: 80. ॐ ह्रीं भूधरात्मजाय नम: 81. ॐ ह्रीं कपालधारिणे नम: 82. ॐ ह्रीं मुण्डिने नम: 83. ॐ ह्रीं नाग-यज्ञोपवीत-वते नम: 84. ॐ ह्रीं जृम्भणाय नम: 85. ॐ ह्रीं मोहनाय नम: 86. ॐ ह्रीं स्तम्भिने नम: 87. ॐ ह्रीं मारणाय नम: 88. ॐ ह्रीं क्षोभणाय नम: 89. ॐ ह्रीं शुद्ध-नीलांजन-प्रख्य-देहाय नम: 90. ॐ ह्रीं मुंडविभूषणाय नम: 91. ॐ ह्रीं बलिभुजे नम: 92. ॐ ह्रीं बलिभुंगनाथाय नम: 93. ॐ ह्रीं बालाय नम: 94. ॐ ह्रीं बालपराक्रमाय नम: 95. ॐ ह्रीं सर्वापत्-तारणाय नम: 96. ॐ ह्रीं दुर्गाय नम: 97. ॐ ह्रीं दुष्ट-भूत-निषेविताय नम: 98. ॐ ह्रीं कामिने नम: 99. ॐ ह्रीं कला-निधये नम: 100. ॐ ह्रीं कांताय नम: 101. ॐ ह्रीं कामिनी-वश-कृद्-वशिने नम: 102. ॐ ह्रीं जगद्-रक्षा-कराय नम: 103. ॐ ह्रीं अनंताय नम: 104. ॐ ह्रीं माया-मन्त्रौषधी-मयाय नम: 105. ॐ ह्रीं सर्वसिद्धि प्रदाय नम: 106. ॐ ह्रीं वैद्याय नम: 107. ॐ ह्रीं प्रभविष्णवे नम: 108. ॐ ह्रीं विष्णवे नम : |
ऊपर Batuk Bhairav Stotra के साथ साथ कालभैरव के 108 नाम भी दिए गए है। कहा जाता है की भैरव के 108 नामो का पाठ करने से भैरव की कृपा बनी रहती है।
हमे उम्मीद है की आपको Batuk Bhairav Stotra के लिरिक्स और वीडियो के साथ साथ भैरव के 108 नाम जो दिए गए है यह पोस्ट पसंद आई होगी। इसको शेयर करना न भूले।