कृष्ण भगवान का यह अद्बुध भजन “हरि तुम हरो जन की पीड़ लिरिक्स | Hari Tum Haro Jan Ki Peed Lyrics” लता मंगेशकर जी का गाया हुआ है। यह भजन में कृष्णप्रेमी मीरा अपने प्रेमी श्री कृष्ण के दयालु और भक्तो के कष्ट निवारण रूप के बारे में बता रही है।
हरि तुम हरो जन की पीड़ लिरिक्स
हरि तुम हरो जन की पीड़।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
हरि तुम हरो जन की पीड़…
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप शरीर॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो, धर्यो नाहिन धीर॥
हरि तुम हरो जन की पीड़…
बूड़तो गजराज राख्यो, कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर, चरणकंवल सीर॥
हरि तुम हरो जन की पीड़।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
Hari Tum Haro Jan Ki Peed Lyrics
Hari Tum Haro Jan Ki Peed।
Dropdi Ki Laj Rakhi, Tum Bhadhayo Chir॥
Hari Tum Haro Jan Ki Peed…
Bhagat Karan Rup Narahri, Dharyo Ap Sharir ॥
Hiranyakashyap Mari Linho, Dharyo Nahin Dhir॥
Hari Tum Haro Jan Ki Peed…
Budto Gajraj Rakhyo, Kiya Bahar Neer॥
Dasi Mira Lal Girdhar, Charanakamval Seer॥
Hari Tum Haro Jan Ki Peed।
Dropdi Ki Laj Rakhi, Tum Bhadhayo Chir॥
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